Friday, June 26, 2015

योगासन

तो इसे ही योगासन कहते हैं. जिसको टीवी पर खूब दिखाया गया था ! 
इसमें कौन से बड़ी बात है.
इसे तो मैं भी करता हूँ पापा के साथ, जब मन करता है. 
मगर मुझे तो किसी ने टीवी पर बुलाया ही नहीं. 
चलो कोई बात नहीं. 
बड़े लोगों की बड़ी बातें. 
वैसे मेरा नाम शशांक है. 








Saturday, March 7, 2015

शशांक के नए दोस्त

इस होली में शशांक गांव गए, तो उन्हें कई नए दोस्त मिल गए. घर के बगल में एक कुतिया ने 6 बच्चे दिए थे. बुलाने पर वे घर के आँगन में चले आते थे. उन्हीं बच्चों के साथ वे खेलते रहे. इस अप्रैल में शशांक महाशय 3 साल के हो जाएँगे. ये मेरे भतीजे हैं.








ये रहा चौथा, दो अभी बाकी हैं 


ये पट्टा मुझे दे दे ठाकुर 

Saturday, February 14, 2015

हमने भी ताज को देखा

हमने भी ताज को देखा (साथी संतोष सहर के साथ) 9 feb 2015
ताजमहल 



दो संतोष 

संतोष सहर, राजेश कमल, अभिनव 




राजेश कमल और अभिनव के साथ 

यहाँ से ताज को देखो 

समता-प्रीति 

ये दांतों का विज्ञापन नहीं है भाई 

अचानक प्रसंग सपादक शम्भू बादल भी मिल गए 

agra fort

9 फरवरी को जब हमलोग आगरा के किले में दाखिल हुए 



आगरा फोर्ट से ताजमहल की झलक. यही कहीं से
बंदी शाहजहाँ ताजमहल को निहारा करते थे 




दीवाने आम जिसे अंग्रेजों ने बारूद रखने की जगह बना दी थी.